जीवन भर की संचित साहित्यिक निधि का उचित पुरस्कार है आचार्य विश्वनाथ तिवारी जी को प्राप्त पद्मश्री - श्री माधव कौशिक
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
साहित्य की दुनिया में भाव कितने कूट कूट कर भरे होते हैं, यह आज प्रत्यक्ष रूप से गोरखपुर के सरस्वती विद्या मंदिर, आर्यनगर के सभागार में दिखाई दिया। जी हां अवसर भी बहुत दुर्लभ था। शहर के पहले साहित्यकार के रूप में उस आचार्य विश्वनाथ तिवारी जी का सम्मान हो रहा था जिसे भारत सरकार के श्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म श्री प्राप्त हुआ है। यह अभूतपूर्व, अकल्पनीय एवं सर्व समावेशी अभिनंदन समारोह था।
कुटुंब ग्लोबल एवं गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के संयुक्त तत्वाधान में आज सरस्वती विद्या मंदिर आर्य नगर के सभागार में गोरखपुर शहर की अमूल्य देन आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को भारत सरकार के द्वारा प्रदत पद्मश्री के पश्चात शहर के अग्रणी साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक श्री विनोद श्रीवास्तव, डा हर्षवर्धन राय एवं श्री संजय श्रीवास्तव जी ने बताया कि संपूर्ण शहर की यह भावना थी कि यहीं की मिट्टी से बने और सारी दुनिया में अपनी यश पताका फहरा कर वापस यहीं आकर रहने वाले आचार्य तिवारी जी का सम्मान करने की थी। इसलिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
यह कार्यक्रम अपराह्न 3.00 बजे से आरंभ हुआ और सम्मान करने का यह सिलसिला देर शाम सात बजे तक चला। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष श्री माधव कौशिक जी ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर डा राधा मोहन दास अग्रवाल, माननीय राज्य सभा सदस्य, उपस्थित थे। इसके अलावा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो चितरंजन मिश्र जी, प्रो कृष्ण चंद्र लाल जी, प्रो अनंत मिश्र जी, प्रो सुरेंद्र दूबे जी आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में मुख्य वक्तव्य प्रो चितरंजन मिश्र जी का हुआ।
डा राधा मोहन दास अग्रवाल जी ने सभा को संबोधित कहते हुए कहा कि प्रो विश्वनाथ जी वि वि के पहले छात्र हैं जिन्हे पदम श्री प्राप्त हुआ है। आचार्य जी को हम लोग उस समय से सुनते पढ़ते आ रहे हैं जब हम बहुत छोटे थे और आज भी पढ़ रहे हैं जब हम सब बूढ़े हो चले हैं। इतनी सुदीर्घ साहित्यिक यात्रा की हम सब केवल कल्पना कर सकते हैं आचार्य जी ने उसे जिया है। मुख्य वक्तव्य देते हुए प्रो चितरंजन मिश्र जी ने कहा कि आज आचार्य जी का यह जो सम्मान हो रहा है वह उनके कर्ममय जीवन का उचित परितोषिक है। उनकी समृद्ध और सतत साहित्यिक परिश्रम आज की युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही अनुकरणीय है।उनके कर्ममय जीवन को उद्घाटित करते हुए प्रो चितरंजन मिश्र जी ने कहा कि अपने को दोषों से मुक्त करने में उन्होंने अपनी लेखनी का भरपूर प्रयोग किया है।
प्रो सुरेंद्र दूबे जी ने आचार्य जी के अभिनंदन समारोह की तारीफ करते हुए कहा कि उनके जीवन के 50 वर्षों में किसी गैर राजनैतिक व्यक्ति को इस भव्यता के साथ सम्मानित होते हुए नहीं देखा। यह इस शहर की साहित्यिक चेतना की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। प्रो अनंत मिश्र जी ने, प्रो के सी लाल जी ने भी अपने अपने अनुभव साझा किए। वाणी का भी एक कथ्य है और इसी वाणी के बल पर प्रो तिवारी जी कुशीनगर के भेड़ीहारी से निकलकर सम्पूर्ण विश्व में अपना परचम लहराया है।
प्रो कृष्ण चंद्र लाल जी ने कहा कि हम लोगों ने कल्पना भी नही की थी कि इस तरह का आत्मीय अभिनंदन यह शहर किसी साहित्यिक व्यक्ति के लिए करेगा। आचार्य तिवारी जी यह सम्मान अपने परिश्रम से तो अर्जित किया ही है अपनी रचनाशीलता को किसी भी तरह के वाद से मुक्त रहते हुए भी किया है। पूरी तरह से इंसान लगने वाले तिवारी जी से हम सभी को सीखना चाहिए।
अंत में स्वयं आचार्य विश्वनाथ तिवारी जी ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा अपने को प्राप्त हो रहे इस सम्मान को अपने माता पिता जी को, परिवार और इस सम्पूर्ण नगर से पधारे सभी नागरिक जनों को समर्पित करता हूं। यह क्षण यादों के गलीचे में हमेशा सजा रहेगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष, साहित्य अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष श्री माधव कौशिक जी ने कहा कि आज आचार्य विश्वनाथ तिवारी जी की वजह से ही हम हिंदी भाषियों को साहित्य अकादमी के अध्यक्ष के तौर पर मार्ग प्रशस्त हुआ है। आपने हिंदी पट्टी को श्रेष्ठ स्थान दिलाया है। आपके समय में ही हिन्दी भाषी क्षेत्रों से आने वाले साहित्यकारों ने अपनी पैठ बनाई है।
आयोजन समिति की ओर से प्रो आमोद कुमार राय ने बताया कि लगभग 4 घंटे चले इस कार्यक्रम में पूर्वांचल हिन्दी मंच के निदेशक डा संजयन त्रिपाठी एवं अध्यक्ष प्रो राम दरश राय, , प्रो शरद मिश्र, प्रो अनिल राय, डा सूर्यकांत त्रिपाठी, डा शैलेश सिंह, डा महेंद्र अग्रवाल, राकेश श्रीवास्तव, हरि प्रसाद सिंह, प्रेम नाथ, डा चारू, डा मिथिलेश, रीता, वंदना, रीना, आशीष, शबनम, अनुपम, डा विनोद, विवेक, प्रवीन सहित शहर के 400 से ज्यादा लोग जमे रहें। सम्मान करने के क्रम में अभियान संस्था, भागीरथी संस्था, संस्कार भारती, कल्याणी, भारतीय साहित्य परिषद, दर्पण नाट्य संस्था, विद्या मंदिर, के आर क्रिएशन, पंजबी, सिंधी एवं मारवाड़ी समाज समेत 50 से अधिक संस्थाओं ने इस अभिनंदन समारोह में प्रतिभाग किया।