राम नाम' के बजाय 'जीवन मरण सत्य है'कह बेटियों ने दी अर्थी को कंधा।
जिले के मोहनपुर प्रखंड के मंझियावां गांव की है वाक्या
ब्यूरो चीफ़ विनोद विरोधी
गया, बिहार।
सामान्य तौर पर किसी की मृत्युपरांत 'राम नाम सत्य है' कहकर उसकी अंतिम संस्कार किया जाता रहा है और अक्सर उनके बेटे ही अर्थी का कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाते हैं। लेकिन जिले के मोहनपुर प्रखंड में एक 68 वर्षीय बुजुर्ग की मरणोपरांत उसके परिजनों ने 'जीवन मरण सत्य है' कहकर श्मशान घाट तक पहुंचाया और अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि मोहनपुर प्रखंड के लाडू पंचायत अंतर्गत मंझियावां गांव के रहने वाले सामाजिक व अर्जक कार्यकर्ता संजय मंडल के पिता रामप्रीत मांझी की मौत मंगलवार को दोपहर में हो गया था ।वे लंबे समय से लकवा रोग से ग्रस्त थे। मृतक रामप्रीत मांझी के तीन बेटे व तीन विवाहित बेटियां भी है। इनके नाम शंकर मंडल, संजय मंडल, अजय मंडल,गीता देवी ,पिंकी देवी,और सरिता देवी है। जिन्होंने इनके मरणोपरांत पुरानी रूढ़ियों को नकारते हुए मानववादी तौर तरीका अपनाया है। जिसके अंतिम संस्कार के सारे रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए 'जीवन मरण सत्य है', 'राम नाम झूठ है'तथा 'रामप्रीत मांझी अमर रहे,स्लोगन के साथ अंतिम संस्कार किया। इस अवसर पर मौजूद औरंगाबाद जिले के ओबरा से आए अर्जक नेता व प्रसिद्ध जादूगर बबन मेहता ने कहा कि मानववादी संगठन अर्जक संघ समतामूलक समाज के निर्माण के लिए कृत संकल्प है तथा पाखंड,अंधविश्वास व चमत्कार पर आधारित व्यवस्था को नकारते हुए समाज को इससे मुक्त कराना चाहता है।मृतक रामप्रीत मांझी के पुत्र संजय मंडल ने बताया कि इनके मरणोपरांत अर्जक पद्धति से शोक सभा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर मौजूद शिक्षक सुरेश दास,सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार समेत अन्य लोगों ने इनके असामयिक निधन पर गहरा दुख जताया है और कहा है कि संकट की घड़ी में परिजनों को धैर्य व साहस से काम लेने की जरूरत है।