रंग में भंग:आर्मी द्वारा अभ्यास फायरिंग के दौरान तोप का गोला गिरने से तीन की मौत ,दो जख्मी।
पीड़ित परिवारों से विधायिका व जिलाधिकारी ने मिल कर दी घटना की फॉरेंसिक जांच का आदेश।
आखिर कब थमेगा मौत का सिलसिला?
रिपोर्ट: विनोद विरोधी
गया, बिहार।
रंगों का त्योहार होली गुलरवेद गांव के एक परिवार के लिए अभिशाप साबित हुआ।आर्मी के जवानों द्वारा अभ्यास फायरिंग के दौरान तोप का गोला गिरने से एक ही परिवार के 3 लोगों की चिथड़े उड़ गए, जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं। घटना बीते बुधवार की अहले सुबह की है, जहां लोग होली के त्यौहार को मनाने में मशगूल थे। वही पल भर में खुशी मातम में बदल गया है। पूरे गांव के साथ-साथ इलाके में भी कोहराम मच गया है।वही आर्मी के अधिकारियों पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है ।इधर घटना से प्रभावित लोगों के परिजनों से जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस एम एवं स्थानीय बाराचट्टी विधायिका ज्योति मांझी ने मिलकर सांत्वना दी है तथा घटना की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं ।इस बाबत जिलाधिकारी त्यागराजन एस.एम. ने बताया कि इस संदर्भ में आगामी 13 मार्च को आर्मी के अधिकारियों के साथ बैठक कर बातचीत की जाएगी। उन्होंने बताया कि आर्मी को फायरिंग को लेकर अगस्त 2023 तक परमिशन मिला हुआ है, लेकिन गलत ढंग से घटनाएं घटित हो रही है।ऐसी स्थिति में फायरिंग ना हो इसके लिए प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस घटना की जानकारी जांच के लिए उप विकास आयुक्त के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है।जिसमें फॉरेंसिक जांच अधिकारी भी शामिल होंगे। विदित हो कि बीते बुधवार को प्रातः 7:00 बजे के करीब थाना क्षेत्र के त्रिलोकपुर से आर्मी के जवानों द्वारा चलाए जा रहे अभ्यास फायरिंग के दौरान गूलरवेद स्थित एक महादलित परिवार के आंगन में तोप का गोला गिर जाने के परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गई है।जबकि दो अन्य लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं ,जिनका उपचार अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सहअस्पताल गया में चल रहा है। यह भी बता दें कि स्थानीय विधायिका ज्योति मांझी ने भी आर्मी द्वारा अभ्यास फायरिंग के दौरान दर्जनभर से भी ज्यादा हुए मौत व मुआवजा समेत अन्य मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर अवगत करायी थी। साथ ही आर्मी के जवानों द्वारा अभ्यास के दौरान सावधानी बरतने की गुहार लगाई थी। लेकिन मामला फाइलों तक ही सिमटा रहा है ।अब देखना यह है कि निरीह और बेगुनाह लोगों पर यह मौत का सिलसिला कब थमेगा फिलवक्त कहना मुश्किल लग रहा है?