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Sat, 13 Dec 2025 12:36 PM
धार्मिक / Nov 30, 2025

दरूद बॉक्स बनाने वाली इस्लामी बहनों को पुरस्कृत किया गया।

बड़ों को छोटों के लिए रोल मॉडल के तौर पर काम करना चाहिए - कारी मुहम्मद अनस 

रिश्तेदारों के साथ दया, सम्मान व विनम्रता से पेश आना चाहिए - हाफिज रहमत अली 

विशेष कार्यशाला का 7वां सप्ताह।

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

इस्लामी बहनों व इस्लामी भाईयों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन हुआ। मदरसा रजा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में दरूद बॉक्स बनाने वाली रूमी, शिरीन बानो, इरम परवीन, असगरी खातून, साइमीन, नौशीन, अख्तरुन्निसा, अलीशा, तैयबा, खुशी, कौसर फातिमा को शहर काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी की वालिदा आस्मां खातून व वरिष्ठ शिक्षक मुजफ्फर हसनैन रूमी ने पुरस्कार से नवाजा। जामिया अल इस्लाह एकेडमी गोरखनाथ व सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार में चालीस हदीसों की विशेष कार्यशाला के 7वें सप्ताह में रिश्तेदारों के हुकूक, बड़ों व छोटों की जिम्मेदारी और अल्लाह के नेक बंदों के बारे में बताया गया। 

विशिष्ट वक्ता हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि कुरआन और हदीस दोनों में इस बात पर जोर दिया गया है कि रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए। रिश्तेदारों के साथ दया, सम्मान और विनम्रता से पेश आना चाहिए। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जोर दिया है कि रिश्तेदारी बनाए रखना वास्तविक अर्थों में वह है जब कोई उन रिश्तेदारों से भी संबंध बनाए रखता है जो उनसे संबंध तोड़ते हैं। यदि कोई रिश्तेदार आर्थिक रूप से कमजोर है और आपको जरूरत से ज्यादा धन प्राप्त है, तो उसकी वित्तीय मदद करना आपका कर्तव्य है। जकात व सदका देते समय भी रिश्तेदारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बीमार रिश्तेदारों से मिलना और उनकी सेहत का हाल जानना उनके हुकूक में शामिल है। रिश्तेदार शादी या दावत में आमंत्रित करें तो निमंत्रण स्वीकार करना चाहिए। यदि कोई रिश्तेदार बुरा व्यवहार करता है या रिश्तेदारी तोड़ता है, तो भी धैर्य और दयालुता दिखानी चाहिए और उन्हें माफ करने की कोशिश करनी चाहिए।

विशिष्ट वक्ता कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि बड़ों की जिम्मेदारी है कि वह छोटों को प्यार, सुरक्षा और मार्गदर्शन दें, जबकि छोटों की जिम्मेदारी है कि वह बड़ों का आदर करें, उनकी बात सुनें। बड़ों को छोटों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर काम करना चाहिए, उन्हें सही संस्कार और मूल्य सिखाने चाहिए। छोटों को भी चाहिए कि वह बड़ों की सलाह मानें और जब जरूरत हो तो उनसे मदद मांगें। बड़ों और छोटों की जिम्मेदारियां एक स्वस्थ परिवार, समुदाय और समाज के निर्माण के लिए जरूरी है। 

मुख्य वक्ता शहर काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि अल्लाह के नेक बंदों की विशेषताएं इस्लामी शिक्षा में विस्तार से बताई गई है। नेक बंदे अल्लाह पर और उसके द्वारा भेजे गए सभी पैगंबरों पर दृढ़ विश्वास रखते हैं, और हर काम में अल्लाह से डरते रहते हैं। नियमित नमाज अदा करते हैं और अल्लाह की इबादत में लगे रहते हैं। नेक बंदे मुश्किल वक्त में सब्र रखते हैं और अल्लाह की नेमतों के लिए हमेशा शुक्रगुजार रहते हैं। नेक बंदे सच्चाई का पालन करते हैं। ईमानदारी से जीवन जीते हैं, और दूसरों के प्रति दयालु और विनम्र होते हैं। अपनी संपत्ति में से गरीबों और जरूरतमंदों का हक अदा करते हैं, यानी जकात देते हैं और सदका करते हैं। अल्लाह के नेक बंदे गुनाह करने से बचते हैं और अगर कभी गलती हो जाती है, तो तुरंत अल्लाह से माफी (तौबा) मांगते हैं।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर अमन व शांति की दुआ मांगी गई। कार्यशाला में ज्या वारसी, नौशीन फातिमा, शबनम, नूर सबा, शिफा खातून, आसिफ महमूद, नेहाल अहमद, शहबाज सिद्दीकी, शीराज सिद्दीकी, ताबिश सिद्दीकी, फिजा खातून, सना फातिमा, सानिया, खुशी सहित तमाम लोगों ने शिरकत की।

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Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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