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Wed, 18 Jun 2025 06:23 AM

जननायक कर्पूरी ठाकुर की 37 वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए नेता

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, बिहार

जननायक करपुरी ठाकुर की 37 वीं पुण्यतिथि पर एक सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।

37 वर्ष पूर्व 17फरवरी1988 को जननायक कर्पूरी ठाकुर का निधन हुआ था। उनका सारा जीवन समाज के लिए समर्पित रहा,अनेक खूबियों के कारण बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम केआगे जननायक की उपाधि जुड़ी,उनका नाम उन महान समाजवादी नेताओं की पांत में आता है,जिन्होंने निजी और सार्वजनिक जीवन,दोनों मेंआचरण के ऊंचे मानदंड स्थापित किए थे।1952 में कर्पूरी ठाकुर पहली बार विधायक ब। वक्ताओं ने ऊपर संयुक्त रूप से कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह को उत्तर देते हुए कहा कि उनका घर तब तक नहीं बनेगा ,जब तक बिहार के ग़रीबों का घर नहीं बन जाता, मेरा घर बन जाने से क्या होगा?कर्पूरी ठाकुर का जीवन ताउम्र संघर्ष रहा।1978 में बिहार का मुख्यमंत्री रूप में समाज के उपेक्षित वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में 26 प्रतिशत आरक्षण लागू किया 1970 में 163 दिनों के कार्यकाल वाली कर्पूरी ठाकुर की पहली सरकार ने कई ऐतिहासिक फ़ैसले लिए। आठवीं तक की शिक्षा मुफ़्त कर दी,उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्ज़ा दिया गया। सरकार ने पांच एकड़ तक की ज़मीन पर मालगुज़ारी खत्म कर दी,जब1977 में वे दोबारा मुख्यमंत्री बने तो एस-एसटी केअलावा ओबीसी के लिएआरक्षण लागू करने वाला बिहार देश का पहला सूबा बना।11 नवंबर 1978 को उन्होंने महिलाओं के लिए तीन ग़रीब सवर्णों के लिए तीन और पिछडों के लिए 20 फीसदी कुल 26 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। वंचितों ने उन्हें सर माथे बिठाया,इस हद तक कि 1984 के एक अपवाद को छोड़ दें तो वे कभी चुनाव नहीं हारे।सादगी के पर्याय कर्पूरी ठाकुर लोकराज की स्थापना के हिमायती थे,उन्होंने अपना सारा जीवन इसमें लगा दिया। 17 फरवरी 1988 को अचानक तबीयत बिगड़ने से उनका देहांत हो गया।

Karunakar Ram Tripathi
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