बरनवाल समाज के लोगों ने बड़े ही धूम धाम से मनाई अपने आदि पुरुष महाराजा अहिबरन की जयंती
धनंजय शर्मा
बेल्थरा रोड (बलिया) उत्तर प्रदेश
बरनवाल सेवा समिति बिल्थरा रोड के तत्वाधान में बरनवाल समाज के लोगों ने शुक्रवार की देर शाम अपने आदि पुरुष महाराजा अहिवरन की जयंती बरनवाल धर्मशाला में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई।
समारोह की औपचारिक शुरुवात मुख्य अतिथि अनिरुद्ध जी वरनवाल द्वारा महाराजा अहिबरन जी के चित्र पर माल्यार्पण पूजन- अर्चन आरती और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि मऊ जनपद के ग्राम परसिया निवासी अनिरुद्ध जी बरनवाल ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने आदि पुरुष के आदर्शो का अनुकरण करना चाहिए। तथा उनके जीवन के संघर्षों से हमे सामाजिक सिख लेनी चाहिए।
मुख्य अतिथि बरनवाल ने कई अनेक मनोरंजन की अबूझ पहेली को भी प्रस्तुत किया।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेशीय बरनवाल बैश्य सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश बरनवाल ने बरनवाल समाज की जीवनी पर चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास के पन्नों की माने तो महाराजा अहिवरन शहर बरन (बुलन्द शहर) के संस्थापक और बरनवाल समाज के आदि पुरुष थे। जिनका जन्म 26 दिसम्बर को हुआ था, इसी लिए उनकी यादगार में हम प्रत्येक वर्ष जयन्ती मनाते है।
उन्होने बरनवाल समाज की संरचना की चर्चा करते हुए कहा कि आधुनिक इतिहास के 14वीं शताब्दी में मुहम्मद तुगलक के आतंक से जब जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर प्रताड़ना शुरू हुई तो, अधिकांश बरनवाल जाति के लोगों को अपना घर छोड़ गांवों को आसरा बनाना ज्यादे मुफीद समझा था, और घीरे-धीरे विभिन्न रोजगार के साथ फैलते गये। उस समय यातायात और डाक के साधन आज की तरह नही थे। इसके कारण उनके आपस में सम्बन्ध टूटते गये।
विशिष्ट अतिथि ने कहा कि इतिहास के अनुसार महाराजा अहिबरन बुलन्द शहर के राजा थे। जिनका प्राचीन नाम बरन था। वह एक सूर्यवंशी राजपूत थे। रिकार्ड के अनुसार इसका इतिहास करीब 1200 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना अहिवरन नाम के राजपूत ने की थी। बुलन्द शहर पर उन्होने बरन टावर की नीव रखी थी। राजा अहिवरन ने बुलन्द शहर में एक सुरक्षित किले का निर्माण भी कराया था। जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है। इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी था। जिसमें इस ऊपर कोट के पास से ही काली नदी के जल से इसे भरा जाता था। राजा अहिबरन ने इस सुरक्षित कोट में अपनी आराध्या कुल देवी मां काली के भब्य मंदिर की स्थापना की थी।
अंत में उन्होने महाराजा अहिबरन जी की जयन्ती की सभी को बधाई एवं शुभकामनाए प्रदान की।
समिति एवं समारोह के अध्यक्ष पुरुषोत्तम बरनवाल ने आयोजन में आर्थिक सहयोग करने वालों की चर्चा करते हुए महाराजा अहिवरन जी का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए सभी का आभार प्रकट किया।
इस मौके पर समिति के मंत्री अनुपम जी बरनवाल ने कार्यक्रम की भव्य सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए समाज के लोगों को महाराजा अहिवरन जी के जन्म दिन की बधाई दी।
बरनवाल समाज के बच्चों ने विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया। समारोह में बरनवाल समाज के महिला, पुरुष व बच्चे सैकेड़ों की संख्या में मौजूद रहे।
इस मौके पर राजेंद्र बरनवाल, ओमप्रकाश बरनवाल, योगेश्वर जी बरनवाल, घनश्याम उर्फ सोनू, राम बिलास बरनवाल, राकेश बरनवाल, जयप्रकाश वैद्य, नागेश्वर बरनवाल, रामेश्वर बरनवाल, कृष्णा जी पेंट सहित महिला, पुरुष तथा बच्चे मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन संदीप जी बरनवाल ने किया।