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Wed, 18 Jun 2025 03:35 AM
शिक्षा / Sep 21, 2024

पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ ला में विश्व शांति दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में विश्व शांति दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कालेज के प्राचार्य डॉ०अभिषेक पाण्डेय ने कहा कि मानव समाज के लिए शांति एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। विश्व मानव समुदाय ने विविध खण्ड कालों में अनेक युद्धों की विभिषिका को झेला है। जिसमें बहुत अधिक पैमाने पर धन-जन की हानि हुई हैं। प्रथम विश्व युद्ध के बाद दुबारा ऐसी घटना न हो और विश्व में शांति कायम रहे। इसके लिए विश्व सदस्य देशों ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 जनवरी 1920 को राष्ट्र संघ नामक संस्था का गठन किया। समयकाल के अनुरूप इसमें विभिन्न कमियां थीं, जिसके परिणामस्वरूप आगे आने वाले समय में यह विश्व शांति को कायम रखने में असमर्थ साबित हुई और द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने पर पुनः संयुक्त राष्ट्र संघ नामक संस्था का गठन 24 अक्टूबर 1945 को किया गया। जिसका उद्देश्य विश्व में शांति व शक्ति संतुलन व्यवस्था को बनाए रखना है, परन्तु छिटपुट तौर पर अनेक छोटे छोटे युद्ध आये दिन देखने को मिलते रहते हैं। जैसे वर्तमान समय में रूस का यूक्रेन के साथ और इजरायल का फिलिस्तीन और लेबनान के साथ युद्ध लम्बे समय से चल रहा है जो कभी भी तृतीय विश्व युद्ध में बदल सकता है।जो विश्व शांति के लिए खतरा साबित हो सकता है। जिसपर विश्व बिरादरी को उचित हस्तक्षेप कर उसे समाप्त करने की आवश्यकता है। कालेज के मुख्य नियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में तो बहुत पहले से शांति पर्व मनाया जाता था। शांति बनाए रखने व खुद के अस्तित्व को बचाए रखने में किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रीय शक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। यदि कोई राष्ट्र मजबूत और शक्तिशाली है तो उससे जल्दी कोई राष्ट्र उलझता नहीं है। विश्व में मानव सभ्यता के विकास में अशांति सबसे बड़ी बाधक है। विश्व समुदाय को आपसी वैमनस्यता त्याग कर शांति के रास्ते पर चलना चाहिए। सनातन धर्म में तो वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना रही है। असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन ने विश्व शांति दिवस के अवसर पर बताया कि विश्व में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। सभी धर्मों के मूल में देखा जाए तो युद्ध रहा है।भारत की भूमि ने शांति के प्रणेता महात्मा बुद्ध को जंम दिया।जो शांति के पक्षधर थे। सम्राट अशोक कलिंग युद्ध के बाद हिंसा से विमुख होकर बौद्ध धर्म को अपनाया। विश्व कल्याण के लिए व मानव समुदाय के विकास के लिए शांति अनमोल वस्तु है। आशीष कुमार गुप्ता, अवनीश उपाध्याय ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन विकास शर्मा ने किया। कार्यक्रम में सूर्यांश कौशिक, हर्षित भारद्वाज, दिवाकर, श्रुति माथुर, सलोनी त्रिपाठी, इमरान अहमद,नीरज त्रिपाठी,नीखिल रावत, विकास सिंह और अंतिमा आदि ने भाग लिया।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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