के के पाठक को शिक्षा विभाग से हटाने का मुख्य मंत्री का फैसला सराहनीय : कुशवाहा
हाजीपुर (वैशाली) बिहार।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक का अंततः तबादला कर दिया गया।उनके तबादले को बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला सचिव पंकज कुशवाहा ने सरकार के फैसले को सही करार देते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया।उन्होंने कहा कि जिस तरह के के पाठक के हर फैसले से मनमानी,संवेदनहीनता, एवं अव्यावहारिकता परिलक्षित होती थी वैसी स्थिति में उनको शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में रहना कहीं से भी उचित नहीं था।उनके मनमानी की पराकाष्ठा तब देखी गई जब विद्यालय टाइमिंग को लेकर विधानसभा में मुख्यमंत्री के दिए गए आदेश को भी की मानने से इनकार कर दिया।ग्रीष्मा अवकाश की छुट्टी अप्रैल में कर देने एवं छुट्टी में भी शिक्षकों के विद्यालय में बने रहने,पर्व त्योहार में भी शिक्षकों को विद्यालय में आना,फोटो खिंचवाने के नाम पर शिक्षकों को भारी मानसिक तनाव के एक्सरे मशीन से गुजारना, नित्य नए v c के माध्यम से दर्जनों काम का वेवजह भार देना,बच्चों का नाम विद्यालय से जोड़ने के बजाय काटने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाना,प्रतिदिन विद्यालय में निरीक्षण करवाना,अमर्यादित भाषा आदि उनके सुर्खियों में बने रहने का कारण रहा।शिक्षकों में आक्रोश का कारण के के पाठक के संवेदनहीन फैसले के साथ-साथ विभागीय दबाव तो था ही रही सही कसर कुछ अपरिपक्व संसाधन केंद्र के कर्मचारी एवं प्रधानाध्यापक ने पूरा कर दिया जो बढ़ा-चढ़ाकर शिक्षकों के बीच समस्या और डर के वातावरण का जंजाल खड़ा कर दिया।के के पाठक ने विद्यालय में संसाधन जुटाना का साहसिक सकारात्मक काम अवश्य किये इसे निश्चित रूप से एक सुनहरे पन्नों में याद किया जाता लेकिन एक मात्र पन्ना भी अधूरा तब रह गया जब थाली क्रय से लेकर विद्यालय में विभिन्न प्रकार के कीट के खरीदारी,5000 में चार बच्चे के बैठने की व्यवस्था,ढाई लाख से अधिक में समरसेबल योजना,लाखों रुपए के लागत से बना रहे विद्यालय में शौचालय योजना आदि से भारी कमिशन की पोल खुलने लगी।जिसकी जांच की मांग अक्सर उठाती रही है और जांच हो भी रही है।कमीशन खोरी ने उनके किए कराए काम पर पानी फेर दिया।इनके मनमानी पूर्ण संवेदनहीन फैसले से शिक्षक, छात्र, विभाग, एवं व्यवस्थापिका सभी त्रस्त रहे।उनके तबादले से निश्चित रूप से सभी लोग तनाव मुक्त अनुभव कर रहे हैं।नए अपर मुख्य सचिव पूर्ण संवेदनशीलता के साथ हर नियमों की समीक्षा कर रहे हैं।फैसला ले रहे हैं जिससे आने वाले समय में बेपटरी हुई।शिक्षा व्यवस्था निश्चित रूप से पटरी पर लौट आएगी आएगी ऐसा प्रतीत हो रहा है।