कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है - मुफ्तिया गाजिया ख़ानम
तुर्कमानपुर में महिलाओं की आठवीं महाना दीनी महफ़िल।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की 'बज्मे कनीजाने आयशा' नाम से आठवीं महाना दीनी महफ़िल हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत शिफा खातून ने की। हम्द कनीज़ फातिमा व नात मुस्कान परवीन, तस्मी खातून, सना खातून ने पेश की। नज़्म शिफा, फिजा खातून, नूर सबा कनीज ने पेश की। दीनी सवाल जवाब अल्बिया खान व मरियम खान ने पेश किया। अध्यक्षता नूरजहां शरीफी व अंजुम आरा ने की।
मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया ख़ानम अमजदी ने कहा कि ईद-उल-अजहा (बकरीद) मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इस मौके पर मुसलमान नमाज़ पढ़ने के साथ-साथ जानवरों की कुर्बानी देते हैं। दीन-ए-इस्लाम के अनुसार कुर्बानी करना हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है, जिसे अल्लाह ने मुसलमानों पर वाजिब करार दिया है। अल्लाह को पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी की अदा इतनी पसंद आई कि हर मालिके निसाब पर कुर्बानी करना वाजिब कर दिया। वाजिब का मुकाम फ़र्ज़ से ठीक नीचे है।
उन्होंने कहा कि कुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को अल्लाह की राह में खर्च करना। इससे अमीर, गरीब इन अय्याम में खास बराबर हो जाते हैं। कुर्बानी हमें दर्स देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो। कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है। हदीस में है कि कुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जो इस उम्मत के लिए बरकरार रखी गई है और पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इसका हुक्म दिया गया है। हदीस में इसकी बेशुमार फजीलतें आई है। हदीस में है कि जिसने खुश दिली व तालिबे सवाब होकर कुर्बानी की तो वह जहन्नम की आग से बच जाएगा। हदीस में है कि जो रुपया ईद के दिन कुर्बानी में खर्च किया गया उससे ज्यादा कोई रुपया प्यारा नहीं।
संचालन करते हुए सादिया नूर व नूर फातिमा ने कहा कि जिलहिज्जा माह की 10 तारीख़ को ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर्व मनाया जाता है। पर्व के मौके पर मुस्लिम समाज द्वारा लगातार तीन दिन तक कुर्बानी की जाती है। जिलहिज्जा माह में ही देश व दुनिया के लाखों मुसलमान हज अदा करते हैं। भारत से भी बड़ी संख्या में हज यात्री मक्का व मदीना शरीफ़ पहुंचे हुए हैं।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली, तरक्की व अमन की दुआ की गई। शीरीनी बांटी गई। महफ़िल में में ज्या वारसी, हिना खातून, अदीबा फातिमा, किताबुन्निसा, यास्मीन खातून, उमरा खातून, माहिरा खातून, शाज़िया खातून, आलिया, आयशा, अलविया, फिजा, तमन्ना, साहिबा खातून, आस्मा खातून आदि मौजूद रहीं।