प्रदेश के हजारों पॉलीटेक्निक कॉलेज का भविष्य हो सकता है खराब।
पॉलीटेक्निक डिप्लोमा होल्डर्स सिर्फ जेई बन सकते हैं, जबकि बीटेक डिग्री होल्डर्स के पास स्नातक स्तरीय अनेक भर्तियों के अवसर।
पॉलीटेक्निक डिप्लोमा और बीटेक डिग्री के दोनों पाठ्यक्रम अलग।
धरने में लखनऊ तथा आसपास के कई पॉलीटेक्निक के डिप्लोमा छात्र और छात्राएं भी हुए शामिल।
जेई अर्हता संबंधी षड़यंत्र के विरोध में डिप्लोमाधारियों ने कराया ट्रेंड।
पीडब्ल्यूडी लखनऊ कार्यालय पर पॉलीटेक्निक डिप्लोमा छात्रों का हजारों संख्या में अन्याय के खिलाफ धरना प्रदर्शन।
सेराज अहमद कुरैशी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
डिप्लोमा धारियों ने पूरे दिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स
पर #UP_JE_Only_For_Diploma को ट्रेंड पर रखा। उन्होंने बताया कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 2847 पदों पर अवर अभियंता की भर्ती का विज्ञापन निकाला है जिसमें अर्हता के बदलाव के लिए कुछ बीटेक डिग्रीधारी संगठन कोचिंग संस्थानों के साथ मिलकर षड़यंत्र रच रहे हैं जिसके विरोध में डिप्लोमा अभ्यर्थी उतर आयें हैं। आज 15 मार्च को राजधानी लखनऊ में पीडब्ल्यूडी कार्यालय पर डिप्लोमा जेई अभ्यर्थियों द्वारा सम्बंधित अधिकारियों को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया।
बताते चले उत्तर प्रदेश में जूनियर इंजीनियर पद के लिये अनिवार्य अर्हता इंजीनियरिंग में डिप्लोमा है लेकिन कुछ संगठन लगातार प्रयास कर रहे हैं कि भर्ती में बीटेक डिग्री धारी को भी शामिल किया जाये। अभ्यर्थियों ने बताया पूर्व में भी लगातार ऐसी कोशिशें विभिन्न संगठनों के माध्यम से की जा चुकी है इसी वजह से भर्तियों को पूरा होने में समय लगता है। इस विषय में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाइकोर्ट के ट्रिपल बेंच ने भी रिट संख्या 24273 ऑफ 2018 (दीपक सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश ) में भी यह आदेश किया जा चुका है कि जूनियर इंजीनियर पद के लिए बीटेक डिग्री अयोग्य है तथा बीटेक और डिप्लोमा दोनो भिन्न भिन्न योग्यताएं हैं। जिनको उनके पाठ्यक्रम के आधार पर विभेदित किया गया है। इसमें माननीय उच्च न्यायालय की ट्रिपल बेंच द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि सिर्फ इस आधार पर की आप उच्च योग्यता रखते हैं , जूनियर इंजीनियर की भर्ती के लिए अर्ह नहीं है। माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जरूरत के हिसाब से सरकार को पद की योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है। साथ ही साथ डिप्लोमा अभ्यर्थियों ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि अगर बीटेक को जूनियर इंजीनियर पद के लिए अर्हता प्रदान कर दी गयी तो लाखो डिप्लोमा अभ्यर्थियों का सरकारी नौकरी का अवसर समाप्त हो जाएगा। जिससे मध्यम, देहड़ी , मजदूरी करने वाले, किसान के बच्चों का जेई बनने का सपना पूरा होने में बड़ी दिक्कत होगी।
आपको बताते चले कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 154 सरकारी , 19 अनुदानित तथा 1294 निजी पालीटेक्निक कॉलेज संचालित है। जिसमे हर साल मध्यम और गरीब वर्ग के लाखों छात्र विभिन्न ट्रेड में डिप्लोमा प्राप्त करते हैं।
बिना डिप्लोमा के जूनियर इंजीनियर पद किसी अन्य योग्यता को भी अर्ह करने से इन सभी संस्थानों का अस्तित्व भी खतरे में आ जायेगा जिससे ये सभी संस्थान बंद होने की कगार पर आ जाएंगे क्योंकि डिप्लोमा, बीटेक या किसी अन्य डिग्री के समकक्ष नहीं होता है इसलिए डिप्लोमा अभ्यर्थी केवल जूनियर इंजीनियर पद की ही योग्यता रखते है जबकि बीटेक अभ्यर्थियों को सभी स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में भी अवसर प्राप्त होता है।