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धार्मिक / Jul 11, 2023

मुर्हरम के चांद के साथ होगा 1445 हिजरी का आगाज।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है। माहे मुहर्रम का चांद 18 जुलाई की शाम को देखा जाएगा। चांद के दीदार के साथ 19 या 20 जुलाई से 1445 हिजरी का आगाज होगा। इसी के साथ नया इस्लामी साल शुरु होगा। हिजरी सन् का आगाज मुहर्रम महीने से होता है। यौमे आशूरा यानी दसवीं मुहर्रम 28 या 29 जुलाई को पड़ेगी।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। मुहर्रम को इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए याद किया जाता है। इसी महीने में यजीद नाम के एक जालिम बादशाह ने पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मोहम्मद अनस रजवी ने कहा कि मुहर्रम दीन-ए-इस्लाम के मुबारक महीनों में से एक है। इस माह में रोजा रखने की खास अहमियत है। विभिन्न हदीसों व अमल से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। मुहर्रम के दसों दिन खुसूसन आशूरा (दसवीं मुहर्रम) के दिन महफिल या मजलिस करना और सही रवायतों के साथ हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों के फजाइल और कर्बला का वाकया बयान करना जायज व बाइसे सवाब है। जिस मजलिस में सालिहीन का जिक्र होता है वहां रहमत बरसती है। दसवीं मुहर्रम को फातिहा-नियाज करना, लोगों को पानी व शरबत पिलाना, मिस्कीन मोहताजों को खाना खिलाना, परेशान लोगों की परेशानी को दूर करना सवाब का काम है। नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखना अफ़ज़ल है। शरीअत के दायरे में रहकर ही कोई काम करें। कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी करें। पौधा रोपण करें। अमनो अमान कायम रखने में प्रशासन की मदद करें।

मनोव्वर अहमद ने बताया कि माहे मुहर्रम शुरू होते ही प्रमुख मस्जिदों व घरों में कर्बला के शहीदों की याद में महफिल व मजलिस शुरु होगी। इमामबाड़ा इस्टेट मियां बाज़ार में तैयारी जारी है। यहां से 5, 9 व 10 मुहर्रम को शाही जुलूस निकाले जाने की परम्परा है। इसके अलावा जिले के विभिन्न मोहल्लों में स्थित इमाम चौकों से भी जुलूस निकाला जाता है। मुस्लिम मोहल्लों में ताजिया तैयार की जा रही है। देश विदेश की मस्जिदों व दरगाहों का अक्स ताजियों में नज़र आएगा।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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