दूसरे चरण के जातीय जनगणना में प्रतिनियुक्त अप्रशिक्षित प्रगणक व सुपरवाइजर से फॉर्म भरने में आ रही हैं बहुत सारी कठिनाइयां।
ब्यूरो चीफ़ शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
जिले में 15 अप्रैल से शुरू हुए दूसरे चरण के जातीय जनगणना में,प्रतिनियुक्त अप्रशिक्षित, अकुशाल प्रगणक(जीविका दीदियों)एवं सुपरवाइजर)अल्प शिक्षित) के होने से फॉर्म भरने में परिवार वालों को बहुत सारी कठिनाइयां सामने आ रही हैं,इन अप्रशिक्षित एवं अकुशल प्रगणक एवं सुपरवाइजर को कोई जानकारी नहीं है,जिससे परिवार वालों को फॉर्म भरने के क्रम में पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे पा रहे हैं,और न ही ठीक से समझा पा रहे हैं, जिससे परिवार वालों को फॉर्म भरने में बहुत सारी गलतियां हो रही हैं,इन लोगों के पास संबंधितआवश्यक कागजात भी नहीं है।फॉर्म भरने में जाति का कोड एवं योग्यता संबंधी कोड भरने के लिए कोई भी जानकारी नहीं हो पा रही है,और न ही इनअप्रशिक्षित प्रगणक और सुपरवाइजर को भी जानकारी नहीं है कि इस कॉलम में कौन सा कोड का नंबर भरा जाएगा।
जातीय जनगणना में प्रतिनियुक्त प्रगणक के साथ उनके सुपरवाइजर नहीं रह रहे हैं, जिससे प्रगणकों को भी फॉर्म भरने और समझाने में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रगणकों के द्वारा परिवार वालों को फॉर्म पेंसिल से भरा जाएगा या डॉट पेन से इसकी कोई जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, जो जिससे चाह रहा है उससे भर रहा है। फॉर्म भरने में आधार नंबर का देना आवश्यक बताया जा रहा है,मगर कई परिवारों के सदस्यों के पास आधार नंबर उपलब्ध नहीं है,तो ऐसी परिस्थिति में क्या भरा जाएगा,इसकी जानकारी भी नहीं दे पा रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो इस जातीय जनगणना का प्रपत्र भरने में बहुत सारी गलतियां आ रही हैं,जिसके कारण सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाएगा,जिससे जिला एवं राज्य का आंकड़ा गलत सामने आएगा। इन सभी कमियों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन ने इस काम को कराने के लिए कोर टालने वाली पद्धति अपनाई है कि किसी तरह जनजातीय जनगणना की किसी तरह से खानापूर्ति हो जाए,चाहे आंकड़ा का गलत ही समेकन संबंधित प्रपत्र में भरकर निदेशालय को चला जाए,जिससे सरकार की मंशा पूरी नहीं हो सके सरकार को अपने लक्ष्य की प्राप्ति शून्य मिले।