अहले सुन्नत के हक और सच्चे तरीके पर चल कर ही हमें अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा मिल सकती है:अल्लामा मुश्ताक बरकाती
भारत व नेपाल के बार्डर पर सुन्नी सूफी खानकाही बरेलवी विचार धारा की शिक्षा से समाज को रौशन कर रहा है कृष्णा नगर का जामिया बरकातिया लिलबनात।
कृष्णा नगर, नेपाल।
कृष्णा नगर जनपद कपलिलवसतु नेपाल का एक ऐसा शहर है जो उत्तर प्रदेश भारत के बढनी शहर से बहुत जियादा सटा हुआ है। भारत व नेपाल के इस बार्डर छेत्र में सुन्नी सुफी खानकाही बरेलवी विचार धारा के मुसलमानों की आबादी दूसरी मुस्लिम विचार धारा के मुकाबले में बहुत जियादा है।यह छेत्र सुन्नी बहुल छेत्र है परन्तु सुन्नी मुस्लिम बालिकाओं की धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का यहाॅ कोई अच्छा शिक्षण संस्थान नहीं था तब हाजी महबुब साहब और दुसरे धार्मिक लोगों ने सुन्नी बच्चियों की शान्तिवाद वाली शिक्षा के लिए किरशनानगर कपलिलवसतु में जामिया बरकातिया लिलबनात की स्थापना का संकल्प लिया और इसकी जिम्मेदारी किरशनानगर के एक कर्मठ, जुझारु, इमानदार,मेहनती और काबिल आलिमे दीन हजरत मौलाना मुश्ताक अहमद बरकाती के कन्धों पर डाली जिन्होने देखते ही देखते चन्द वर्षों में जामिया बरकातिया लिलबनात की बहुत बडी जमीन खरीद कर उस पर एक आलीशान और भव्य बिल्डिंग बना डाली साथ ही मस्जिद कंजुल ईमान की भी बुनियाद रख दी।यह शिक्षण संस्थान मजहबे अहले-सुन्नत अर्थात मसलके आलाहज़रत का अलमबरदार है जो सुन्नी मुस्लिम बच्चियों को सुन्नी सुफी खानकाही विचार धारा की उच्च और धार्मिक शिक्षा के साथ उन्हे आधुनिक शिक्षा और सिलाई कढाई का भी प्रशिक्षण दे रहा है।यहाँ भारत व नेपाल की बच्चियां शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।इस साल इन बच्चियों का आलिमयत का कोर्स पुरा हुआ तो उनको बुखारी शरीफ की आखरी हदीस पढा कर फैजुररसुल बराओं शरीफ यूपी के हजरत अललामा शहाबुद्दीन साहब नुरी ने जशने बुखारी शरीफ की रस्म अदा कराई,इस मौके पर सारे उल्मा ने औरतों और मर्दो से कहा कि इशके रसुल और अमन व शान्ति को बढ़ावा दें,समाज से जिहालत खत्म करें,अपने बच्चे और बच्चियों को अच्छी शिक्षा दें,बुरी संगत और गुमराह फिरकों की बुरी व गुमराह कुन विचार धारा से उन्हें दुर रखें,भारतीय खानकाहों खास कर मरकजे अहले-सुन्नत बरेली शरीफ उत्तर प्रदेश भारत कि जहाँ से आलाहज़रत ने हमारे दीन और ईमान की सुरक्षा की वहां से अपने बच्चे और बच्चियों को करीब करें, जहेज और बुरी रस्मों से अपने समाज को पाक रखें,शादी-विवाह में सादगी और सरलता लाऐं।
,इस जश्न की सरपरस्ती हज़रत सययद एहतेशामुददीन साहब और अध्यक्षता हजरत अल्लामा मुश्ताक बरकाती साहब ने की,भारत व नेपाल के दो दर्जन से अधिक आलिम और शायर सम्मिलित हुए और आम लोग भारी संख्या में आए।महिलाओ का अलग एक जलसा हुआ जिस में किरशनानगर और समीप के छेत्रों से हजारो महिलाओ ने सम्मिलित होकर मसलके आलाहज़रत की शिक्षा पर आधारित तकरीरे सुनी,मौलाना अहमद रजा वाहिदी ने संचालन किया,कारी नसरुललाह साहब ने कुरआन पढ कर जलसा शुरु किया,मौलाना इलतिजा हुसैन अशरफी मौलाना अकबर अली बरकाती,मौलाना अकील नईमी आदि भी सम्मिलित हुए।